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आजादी की आने वाली 65 वीं सालगिरह पर आप सभी को अग्रिम शुभकामनाएं। उम्मीद करें कि अगली सालगिरह पर दुनिया भऱ में अनमोल अपने भारत देश में ईमानदारी की पौध जड़ें जमा चुकी होंगी। सिविल सोसाइटी की मंशा के अनुरूप लोकपाल वजूद में आ चुका होगा, भ्रष्टाचारी या तो भारत छोड़कर भाग गए होंगे या भुगत रहे होंगे अपनी करनी का फल…।
माफ कीजिएगा, शायद मैं ज्यादा ही भावुक हो गया। उम्मीदों से भर गया। क्या करूं, फितरत ही ऐसी है। लोग पीठ पर हाथ धरते हैं तो सब कुछ हार जाता हूं। उन तमाम हिंदुस्तानियों की तरह जो सिरफ दो मीठे बोल के भूखे होते हैं। सच कह रहा हूं दोस्तों, पत्रकारिता में भावकुता की जो कीमत मैंने चुकाई है, उसे आपसे शेयर करूं तो आप कहेंगे कि दुनिया प्रोफेशनल हो रही है, सो सोच वैसी ही रखनी चाहिए। लेकिन प्रोफेशनल हो रही दुनिया का हश्र भी देख रहा हूं। यहां तमाम राजा रंक बन रहे हैं। अमेरिकी वित्तीय संकट से इस बात को लेकर आशंकित हूं कि कहीं भारत भी इस बहाव में न बहने लगे। यहां तो गजब हो जाएगा। सरकारी मुलाजिम तो जैसे-तैसे दाल रोटी चला लेंगे, प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों का क्या होगा। आशा है हमारे नीति-नियंता कुछ रास्ता निकालेंगे। बहरहाल, आपके लिए कुछ छंद।
आजादी के सप्ताह में खूब मनाइए जश्न
खूब मनाइए जश्न,जमकर कीजे प्रश्न
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प्रश्न
ऐसी क्या मजबूरी है
बीमारी छिपाना जरूरी है…
जब सोनिया जी हैं देश की
शान, तो हम हैं परेशान।
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